मंगलवार, 29 अगस्त 2023

अनुराग शर्मा

व्यथा कथा

जीवन एक कथा है सब कुछ छूटते जाने की
हाथ से बालू फिसले ऐसे वक़्त गुज़रता जाता है
बचपन बीता यौवन छूटा तेज़ बुढ़ापा आता है
जल की मीन को है आतुरता जाल में जाने की
जीवन एक कथा है सब कुछ छूटते जाने की।

सपने छूटे, अपने रूठे, गली गाँव सब दूर हुए
कल तक थे जो जग के मालिक मिलने से मजबूर हुए
बुद्धि कितनी जुगत लगाए मन भरमाने की
जीवन एक कथा है सब कुछ छूटते जाने की।

छप्पन भोग से पेट भरे यह मन न भरता है
भटक-भटक कर यहाँ वहाँ चित्त खूब विचरता है
लोभ सँवरता न कोई सीमा है हथियाने की
जीवन एक कथा है सब कुछ छूटते जाने की।

मुक्त नहीं हूँ मायाजाल मेरा मन खींचे है
जितना छोड़ूँ उतना ही यह मुझको भींचे है
जीवन की ये गलियाँ फिर-फिर आने-जाने की
जीवन एक कथा है सब कुछ छूटते जाने की।

भारी कदम कहाँ उठते हैं, गुज़रे रस्ते कब मुड़ते हैं
तंद्रा नहीं स्वप्न न कोई, छोर पलक के कम जुड़ते हैं
कोई खास वजह न दिखती नींद न आने की
जीवन एक कथा है सब कुछ छूटते जाने की
जीवन एक व्यथा है सब कुछ छूटते जाने की।

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घोंसला

बच्चे सारे कहीं खो गए
देखो कितने बड़े हो गए
घुटनों के बल चले थे कभी 
पैरों पर खुद खड़े हो गए
मेहमाँ जैसे ही आते हैं अब
छोड़ के जबसे घर वो गए
प्यारे माली जो थे बाग में
उनमें से अब कई सो गए
याद से मन खिला जिनकी
यादों में ही नयन रो गए

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भाव-बेभाव

प्रेम तुम समझे नहीं, तो हम बताते भी तो क्या
थे रक़ीबों से घिरे तुम, हम बुलाते भी तो क्या 

वस्ल के क़िस्से ही सारे, नींद अपनी ले गए
विरह के सपने तुम्हारे, फिर डराते भी तो क्या

जो कहा, या जैसा समझा, वह कभी तुम थे नहीं
नक़्शा-ए-बुत-ए-काफ़िर, हम बनाते भी तो क्या

भावनाओं के भँवर में, हम फँसे, तुम तीर पर
बिक गए बेभाव जो, क़ीमत चुकाते भी तो क्या

अनुराग है तुमने कहा, पर प्रीत दिल में थी नहीं
हम किसी अहसान की, बोली लगाते भी तो क्या

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वफ़ा

वफ़ा ज्यूँ हमने निभायी, कोई निभाये क्यूँ
किसी के ताने पे दुनिया को छोड़ जाये क्यूँ॥

कराह आह-ओ-फ़ुग़ाँ न कभी जो सुन पाया
ग़रज़ पे अपनी बार-बार वह बुलाये क्यूँ॥

सही-ग़लत की है हमको तमीज़ जानेमन
न करें क्या, या करें क्या, कोई बताये क्यूँ॥

झुलस रहा है बदन, पर दिमाग़ ठंडा है
जो आग दिल में लगी हमनवा बुझाये क्यूँ॥

थे हमसफर तो बात और हुआ करती थी
वो दिल्लगी से हमें अब भला सताये क्यूँ॥

जो बार-बार हमें छोड़ बिछड़ जाता था 
वो बार-बार मेरे दर पे अब भी आये क्यूँ॥

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अनुराग शर्मा
जन्म स्थान : रामपुर, उत्तर प्रदेश 
शिक्षा : प्रबंधन व सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर
प्रकाशित पुस्तकें : मेरी लघुकथाएँ, आधी सदी का किस्सा, अनुरागी मन, छोटी सी बात, पतझड़ सावन वसंत बहार, इंडिया ऐज़ एन आईटी सुपरपॉवर तथा कई साझा संकलन
ऑडियो बुक्स : सुनो कहानी (प्रेमचंद की कहानियों की पहली ऑडियो बुक), विनोबा भावे के गीता प्रवचन, तथा अनेक कहानियाँ, रेडियो नाटक, व ऑनलाइन कवि-सम्मेलन। हिंदी साहित्यिक पॉडकास्टिंग के सबसे पुराने स्तम्भ
पुरस्कार : महात्मा गांधी संस्थान का प्रथम ‘आप्रवासी हिंदी साहित्य सृजन सम्मान’ 2016-2017 तथा कुछ अन्य उल्लेख
संप्रति : पिट्सबर्ग से हिंदी व अँग्रेज़ी में प्रकाशित मासिक, सेतु के मुख्य समूह संपादक।

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