याद ये बात उम्र भर रखना
याद ये बात उम्र भर रखना
तुम कहीं भी हो याद घर रखना
तुम कहीं भी हो याद घर रखना
आते-जाते रहेंगे ये मौसम
दिल के मौसम पे तुम नज़र रखना
सर झुकाकर जिसे सभी माने
अपने कहने में वो असर रखना
हँसते-गाते ये ज़िंदगी गुज़रे
ऐसी नज़रें-करम इधर रखना
जो ये चाहो कि हो असर उनपे
बात को अपनी मुख़्तसर रखना
-----------
नज़रें-करम = कृपादृष्टि
मुख़्तसर = बहुत छोटी
-----------
-----------
रुसवाई बहुत है
गिले-शिकवे हैं रुसवाई बहुत हैइसी कारण ही तन्हाई बहुत है
बनाने को मुकम्मल दर्द मुझको
तेरी यादों की पुरवाई बहुत है
किसी से क्यूं भला रिश्ता बढ़ाऊं
मेरी तुझसे शनासाई बहुत है
ये माना झूठ का पर्वत है ऊंचा
मगर सच में भी गहराई बहुत है
हसीं क़ातिल न क्यों तुमको कहूं मैं
कि जां लेने को अंगड़ाई बहुत है
-----------
शनासाई = परिचय, जान-पहचान
-----------
-----------
ये बच्चे भी अब
ये बच्चे भी अब हक़ जताने लगे हैंकि आँखों से आँखें मिलाने लगे हैं
जो तुतलाते फिरते थे कुछ रोज़ पहले
बड़ों से जुबां अब लड़ाने लगे हैं
इन्हें चाहिए एक दिन में वो सब कुछ
जो पाने में हमको ज़माने लगे हैं
अभी ठीक से पर नहीं निकले लेकिन
परिंदे उड़ानें दिखाने लगे हैं
हुए पैदा जिन घोंसलों में परिंदे
उन्हीं घोंसलों से वो जाने लगे हैं
-----------
ऊँघते हैं आँख मूँदे
चन्द बातें
चन्द बातें, चन्द क़िस्सेऊँघते हैं आँख मूँदे
चन्द घड़ियाँ, चन्द लम्हें
जा रहे हैं बात करते
है दुआ से चन्द रिश्ते
चन्द रिश्ते बददुआ-से
छूटने को हैं तरसते
जाल में फँसकर परिंदे
बज़्म सारी कह रही है
शे'र अच्छे हैं 'कपिल' के
-----------------------------------------------
कपिल कुमार
एक्टर, लेखक, जर्नलिस्ट। तकरीबन 27 सालों से यूरोप में कार्यरत। भूतपूर्व उपाध्यक्ष बेल्जियम हिंदू फोरम अध्यक्ष, साहित्य समाचार, हिंदी खबर न्यूज़ tv चैनल के लिए बेल्जियम में विशेष सवांददाता। Ten news के लिए यूरोप में कार्य।फाउंडर वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन(यूरोप)। अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड अम्बेसडर हिन्दू वेल्फेयर फाउंडेशन (कला एवं संस्कृति)
प्रकाशित पुस्तक : इश्क़ मुक्कमल (ग़ज़ल संग्रह), सुनहरे अश्क़ (मुक्तक संग्रह), गोल्डन टीयर्स (इंग्लिश पोयम्स), बेपनाह (ग़ज़ल संग्रह), ज़िंदगी है शायराना (ग़ज़ल संग्रह), पलवशा (ग़ज़ल संग्रह) हिंदी और उर्दू दोनों में।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें