1. मायके लौटी स्त्री
मायके लौटी स्त्री
फिर से बच्ची बन जाती है
लौट जाती है वह
गुड़ियों के खेल में
दो चोटियों और
उनमें लगे लाल रिबन के फूल में
वह उचक-उचक कर दौड़ती है
जैसे पैरों में लग गए हों पर
घर के दीवारों को छू कर
अपने अस्तित्व का करती है एहसास
मायके लौटी स्त्री।
मायके लौटी स्त्री
वह सब खा लेना चाहती है
जिनका स्वाद भूल चुकी थी
जीवन की आपाधापी में
घूम आती है अड़ोस-पड़ोस
ढूंढ आती है
पुराने लोग, सखी सहेली
अनायास ही मुस्कुरा उठती है
मायके लौटी स्त्री।
मायके लौटी स्त्री
दरअसल मायके नहीं आती
बल्कि समय के पहिए को रोककर वह
अपने अतीत को जी लेती है
फिर से एक बार।
मायके लौटी स्त्री
भूल जाती है
राग-द्वेष
दुख-सुख
क्लेश-कांत
पानी हो जाती है
किसी नदी की ।
हे ईश्वर !
छीन लेना
फूलों से रंग और गंध
लेकिन मत छीनना कभी
किसी स्त्री से उसका मायका।
_____________________________________
2. फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य
सौंदर्य की गढ़ी हुई परिभाषों से इतर
एक अलग सौंदर्य होता है
फटी हुई एड़ियों में
फटी एड़ियों वाली स्त्री में !
वह सौंदर्य साम्राज्ञी नहीं होती
उसके चेहरे पर नहीं दमकता
ओढ़ा हुआ ज्ञान
या लेपी हुई चिकनाहट
वे अनगढ़ होती हैं
जंगल के पुटुश के फूल की तरह
मजबूत है, चमकदार भी
हाँ, छुईमुई भी ।
फटी एड़ियों वाली स्त्री के हाथ भी
होते हैं अमूमन खुरदुरे
नाखून होते हैं घिसे
जिस पर महीनों पहले चढ़ा नेलपेंट
उखड़ चुका होता है
उसकी उँगलियों में भी दिखती है दरारें
जो सर्दियों में अक्सर बढ़ जाती है
लेकिन वह इसकी फिक्र ही कहाँ करती
या फिर कर ही नहीं पाती
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य
दिखता है
शहर के चमचमाते बिजनेस या दफ्तर परिसर में
सफाई कर रही स्त्रियों में
कहीं दूर गाँवो में धान काट रही स्त्रियॉं में
गेंहूँ बोती हुई गीत गाती स्त्रियॉं में
शहरी मोहल्लों में सड़क बुहारती स्त्रियॉं में
या फिर गोद में बच्चे को उठाये बोझ उठाती मजदूर स्त्रियॉं में
हाँ, सुबह-सुबह लगभग दौड़ कर
फैक्ट्री पहुँचती स्त्रियॉं की एड़ियाँ भी फटी पायी जाती हैं!
फटी हुई एड़ियाँ नहीं है
कोई हँसने या अफसोस जताने वाली बात
यह श्रम का प्रतीक है
यह स्वावलंबन और सम्मान का प्रतीक है
प्रतीक है स्त्रियॉं (स्त्रियों) के सशक्त होने का!
सौंदर्य की परिभाषा से अनिभिज्ञ
फटी एड़ियों वाली स्त्री भी
भीगती है नेह से
उसकी आँखों के कोर गीले हो जाते हैं जब
फटी हुई एड़ियों को हृदय से लगा
चूमता है उनका प्रेमी!
_____________________________________
3. गोल रोटियों का भय
रोटियाँ गोल ही क्यों होनी चाहिए
यह बात मुझे आज तक समझ नहीं आई
जबकि रोटियों को खाना होता है
छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर
रोटियों को गोल बेलने में
शताब्दियों से भय जी रही औरतों ने
क्यों नहीं उठाई आवाज़
यह बात भी मुझे आज तक समझ नहीं आई
जबकि रोटियों के गोल होने या न होने से
नहीं बदलता, न ही संवर्धित होता है उसका स्वाद
रोटियों के गोल बेलने का दवाब
लड़कियों पर होता है शायद बचपन से
और उतना ही कि
उनकी नज़रें नहीं उठें ऊपर
उनके कदम नहीं उठें इधर-उधर
किताबों के ज्ञान से कहीं अधिक मान
आज भी दिया गया है
रोटियों के गोल होने को
चाहे स्त्रियाँ उड़ा ही रही हो जहाज़,
दे रही हो नए-नए विचार
यहाँ तक कि कई बार स्वयं स्त्रियाँ भी
बड़ा गर्व करती हैं अपने रोटी बेलने की कला पर !
जबकि गोल रोटी को देख मुझे
हर बार लगता है जैसे बेड़ियों में जकड़ी स्त्री खड़ी हो सामने !
_____________________________________
4. स्त्रियों की नींद
गृहणी स्त्रियॉं अक्सर
सोती कम हैं
सोते हुये भी वे
काट रही होती हैं सब्जियाँ
साफ कर रही होती हैं
पालक, बथुआ, सरसों
या पीस रही होती हैं चटनी
धनिये की, आंवले की या फिर पुदीने की ।
कभी-कभी तो वे नींद में चौंक उठती हैं
मानो खुला रह गया
हो गैस-चूल्हा
या चढ़ा रह गया हो
दूध उबलते हुए
वे आधी नींद से जागकर कई बार
चली जाती हैं छत पर हड़बड़ी में
या निकल जाती हैं आँगन में
या बालकनी की तरफ भागती हैं कि सूख रहे थे
कपड़े और बरसने लगा है बादल !
कामकाजी स्त्रियों की नींद भी
होती है कुछ कच्ची-सी ही
कभी वे बंद कर रही
होती हैं नींद में
खुले ड्रॉअर को
तो कभी ठीक कर रही होती हैं आँचल
सहकर्मी की नज़रों से
स्त्रियॉं नींद में चल रही होती हैं
कभी वे हो आती हैं मायके
मिल आती हैं भाई-बहिन से
माँ की गोद में सो आती हैं
तो कभी वे बनवा आती हैं
दो चोटी
नींद में ही
कई बार वे उन आँगनों में चली जाती हैं
जहाँ जाना होता था मना
स्त्रियों की मुस्कुराहट
सबसे खूबसूरत होती है
जब वे होती हैं नींद में
कभी स्त्रियों को नींद से मत जगाना
हो सकता है वे कर रही हों
तुम्हारे लिए प्रार्थना ही !
स्त्री मन को बारिकी से समझते हुए लिखी सभी कविताएं बेहतरीन है कवि को बधाई
जवाब देंहटाएंआप की कविताओं को पढ़कर ऐसा लगा जैसे कि एक मां अपनी बेटी के बारे में सब कुछ जानती है आपने शब्दों के रूप में ढाल कर कविता का रूप दे दिया सच्ची स्त्री के मन को छूने वाली कविताएं हैं बहुत-बहुत बधाई और शुभकमनाएं🙏🙏💐💐
हटाएं