बुधवार, 29 जनवरी 2025

आशा जोशी

1. प्रेम


जब प्रेम होता है तो 
हम, हम नहीं होते।
हो जाते हैं टिमटिमाते दिए, 
आकाश का नक्षत्र, 
धरती का बसंत।
हमारी देह गाने लगती है,
रोम-रोम नाचता है। 
बड़े से बड़े संकट से भी 
हमें चुपचाप 
उबार लेता है प्रेम।
दुःख की सर्द रात में,
अलाव की आँच सा
दहकता है प्रेम।
धीरे से 
सहलाता है प्रेम।
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2. प्रकृति

 
पत्तों पर टिकी बूंदें,
कर रही हैं चुगली 
रात भर बरसा होगा पानी।
माना कि 
मौसम ख़ुशगवार है,
पर टपकी होगी किसी की छत, 
जानता है आसमान,
इसलिए वह,
बरस रहा है चुपचाप।
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3. यादें


दिन के मोती
बदल जाते हैं यादों के
पुखराज में,
साल दर साल 
बढ़ती है उम्र,
पर मन
बच्चा होता चला जाता है।
 बचपन
 जीवन का 
सबसे सुंदर पड़ाव है शायद।
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4. लड़की


लड़की हँसती है, तो 
मोती झरते हैं 
लड़की खिलखिलाती है, तो
झरते हैं फूल
लड़की रोती है, तो
ओस गिरती है,
बोलती है लड़की, तो घर 
बांसुरी गमकती है 
काम करती है लड़की तो 
 घर दीपक बन जाता है लड़की सजती है
तो थिरकने लगता है घर
लड़की थकती है तो
थम जाता है घर 
घर और लड़की- जैसे 
बसंत और धरती 
फिर भी 
लड़की अनचाही
बिनमांगी रहती है 
अनाहूत 
जंगली बेल की तरह
आती है लड़की 
जाती है लड़की
 बेची-खरीदी 
जलाई-भगाई जाकर
हँसती है लड़की 
खिलखिलाती है लड़की 
आंसू झटक कर 
मुस्कुराती है लड़की।

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5. समझदार  स्त्रियाँ 


समझदार स्त्रियाँ 
रोती नहीं हैं
मुस्कुरा कर निभाती हैं
भीड़ भरी ज़िम्मेदारियाँ 
फिर ढूंढती हैं 
थोड़ा सा एकांत 
अपने लिए 
जो मुश्किल से मिलता है।
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आशा जोशी















आशा जोशी का जन्म 13 अगस्त 1950 में हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय में लंबे समय तक अध्यापन किया। इनके दो कविता संग्रह और एक कहानी संग्रह प्रकाशित हैं साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेख, कविताएं और कहानियाँ प्रकाशित होती रही हैं। वर्तमान समय में आशा जी 'आर्कियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया' की पत्रिका 'पुरा प्रवाह' के संपादन का कार्यभार संभाल रही हैं।

4 टिप्‍पणियां:

  1. सहज सरल भावपूर्ण और जीवन के इंद्रधनुषी रंग में रंगी कविताएं !

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  2. शानदार कविताएं जोशी जी बधाई आपको।

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  3. किसी ने क्या खूब ही लिखा है, मैंने सोचा आप लोगो के साथ भी शेयर कर लूँ अक्सर सोचता हूँ ! तुम्हारा व्यक्तित्व ही तो है जो मुझमें जीवन ज्योति बन कर प्रज्वलित है। तुम्हें चाहता हूं,और स्वयं को पा लेता हूं। jatinder Kumar

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