1. तब लौटते थे
सूरज आगे से डूब जाता था उस जंगल के पार
और चांद पीछे से निकल आता था
तब लौटते थे घर हम
बैलगाड़ी हांकते हुए
सब पंछी लौटते थे
और हमारी थकान
कहीं नहीं लौटती थी
जुते हुए खेतों में
मिट्टी में दबी दबी रहती थी
हमारी नरम गरम आकांक्षाओं की तरह|
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2. ताकत
तुम
कौन से
सड़ते शब्दों से
ताक़तवरों को और ताक़त देते हो
कौन से
सड़ते शब्दों से
ताक़तवरों को और ताक़त देते हो
ज़रा मुझे भी दो
मुझे चाहिए
खेतों में
रोपाई निराई गुड़ाई और कटाई करने को
बहुत ताक़त
बहुत ताक़त।____________________________________
3. श्रम की रेखा
खेतों के माथे पर जो आज ख़ून बहता है
वह रेखा है वह रेखा है
हल की रेखा है
वह रेखा है वह रेखा है
हल की रेखा है
श्रम की रेखा है
टेढ़ी-मेढ़ी हल की रेखा है
हाँ देखा है हाँ देखा है
कवि ने खेती की कविता करके देखा है
हर फ़सल धरती के कैनवास पर उतारी है
टेढ़ी-मेढ़ी हल की रेखा है
हाँ देखा है हाँ देखा है
कवि ने खेती की कविता करके देखा है
हर फ़सल धरती के कैनवास पर उतारी है
हर धक्का देखा है
हर मुक्की देखा है
हर वह दृश्य देखा है
कौन कितना खटता है
कौन कितना जांगर बचाता है
कौन बैलगाड़ी में बैल की तरह नधकर
कितना ऊँख ढोता है
कितना दुख ढोता है
हर मुक्की देखा है
हर वह दृश्य देखा है
कौन कितना खटता है
कौन कितना जांगर बचाता है
कौन बैलगाड़ी में बैल की तरह नधकर
कितना ऊँख ढोता है
कितना दुख ढोता है
कौन कितना ऊँख चीभता है
कौन कितना अधिक पेराता है
यह जानती हैं यह जानती हैं
रस चूसने वाली प्यारी मधुमक्खियाँ भी
जानती हैं
जानते हैं मूस भी
गिलहरियाँ भी
और बनिहारिन स्त्रियाँ भी
चिरईयाँ भी
कौन कितना अधिक पेराता है
यह जानती हैं यह जानती हैं
रस चूसने वाली प्यारी मधुमक्खियाँ भी
जानती हैं
जानते हैं मूस भी
गिलहरियाँ भी
और बनिहारिन स्त्रियाँ भी
चिरईयाँ भी
हाँ मेरे साँवर गोईंयाँ भी
नदी नदी पानी पानी रेती रेती जंगल जंगल
सब कुछ हुआ देख लिया है
घूम कर तो वह कवि हुआ है
(छवि हुआ है
रवि हुआ है)
नदी नदी पानी पानी रेती रेती जंगल जंगल
सब कुछ हुआ देख लिया है
घूम कर तो वह कवि हुआ है
(छवि हुआ है
रवि हुआ है)
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4. श्रम
इस दुनिया में खेतों के शब्दों से अधिक अर्थवान
कौन से शब्द होंगे
श्रमिक हथियारों से अधिक महत्त्वपूर्ण
कौन से हथियार होंगे
कौन से शब्द होंगे
श्रमिक हथियारों से अधिक महत्त्वपूर्ण
कौन से हथियार होंगे
श्रम की कविता से अधिक सुंदर
कौनसी कविता होगी
जब हम दुनिया से कहेंगे शुक्रिया अलविदा
हम जी लिए किसी तरह
अंत में
कौनसी कविता होगी
जब हम दुनिया से कहेंगे शुक्रिया अलविदा
हम जी लिए किसी तरह
अंत में
कुछ दिनों के लिए
इन हाथों से छूट कर क्या बचा रह जाएगा
हमारे श्रम से बनाए हुए घर, कुदाल और अनाज के सिवा
इन हाथों से छूट कर क्या बचा रह जाएगा
हमारे श्रम से बनाए हुए घर, कुदाल और अनाज के सिवा
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5. मृत्यु का स्पर्श
क्या आपने कभी मृत्यु का स्पर्श किया है
मैंने किया है
इसे स्पर्श करने के लिए
करनी पड़ती है खेतों में बहुत
बहुत मेहनत
बहुत बहुत मेहनत
बहुत बहुत मेहनत करने से
सिहर जाती है आत्मा
एड़ी से चोटी तक पसीने से लथपथ
पानी की तरह बहने लगती है करुणा
मेहनतकश के हृदय में छल छल।
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चंद्रमोहन
चंद्रमोहन का जन्म असम के खरेनी काछारी गाँव में हुआ। कविताकोश, समयांतर, हंस परिंदे, पाखी, समालोचना आदि डिजिटल मंच और पत्र-पत्रिका में इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। 'यादों में चलती साइकिल' तथा कंटीले तार की तरह' आदि पुस्तकों में उनकी रचनाएँ संकलित है।
मो.नंबर- 9365909065

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