1. भेड़
भेड़ों में नहीं होता
सही नेतृत्व चुनने का शऊर
और चुने हुए ग़लत नेतृत्व को
उखाड़ फेंकने का साहस
इतिहास बताता है
इंसानों में भी ये गुण
यदा-कदा ही देखे गए हैं
सर्वप्रथम,
शऊर और हिम्मत की ग्रंथियाँ टटोलकर
दुरूस्त करने के बाद
अनुशासन का पाठ
इंसान को
भेड़ों से सीखना चाहिए।
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2. एक तारा: विज्ञानी का प्रेम
उसे चाँद ख़ूबसूरत लगता है
जबकि मुझे लुभाती हैं,
तारों की क़तारें
तारे मेरी रोज़ी हैं
जब अँधेरी रात में तारे खिलें
और मेरी दूरबीन के पहलू में गिरें
तो ही आगे बढ़ पाया मेरा काम
मेरे बैंक अकाउंट की गुल्लक में
सारे सिक्के तारों ने ही डाले हैं
और चाँद?
वह एक आवारा घुसपैठिया है
चाँद के आगे तारे
फीके पड़ जाते हैं
जो तारे पहले ही बहुत धुँधले हैं,
वे दूरबीन से भी नज़र नहीं आते हैं
चाँदनी, तारों के खेत में
चिड़ियों जैसी है
मेरी फ़सल को चट कर जाती है
तारों की ही नेमत हैं
सगाई की अँगूठी
और आर्टिफ़िशियल सस्ता हार
मेरा उसे दिया हर उपहार
मेरा कवि कभी और
ले लेगा
चाँद से
कवियों वाले बिंब उधार
काश,
कम-अज़-कम
एक बार
वह चाँद को कह दे :
चाँद, थोड़ा कम नज़र आया करो!
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3. तारबंदी
जालियों के छेद
इतने बड़े तो हों ही
कि एक ओर की ज़मीन में उगी
घास का दूसरा सिरा
छेद से पार होकर
साँस ले सके
दूजी हवा में
तारों की
इतनी भर रखना ऊँचाई
कि हिबिस्कुस के फूल गिराते रहें
परागकण, दोनों की ज़मीन पर
ठीक है,
तुम अलग हो
पर ख़ून बहाने के बारे में सोचना भी मत
बल्कि अगर चोटिल दिखे कोई
उस ओर भी
तो देर न करना
रूई का बंडल और मरहम
उसकी तरफ़ फेंकने में
बहुत कसकर मत बाँधना तारों को
यदि खोलना पड़े उन्हें कभी
तो किसी के चोट न लगे
गाँठों की जकड़न सुलझाते हुए
दोनों सरहदों के बीच
'नो मेंस लैंड' की बनिस्पत
बनाना 'एवेरीवंस लैंड'
और बढ़ाते जाना उसका दायरा
धर्म में मत बाँधना ईश्वर को
नेकनीयत को मान लेना रब
भेजना सकारात्मक तरंगों के तोहफ़े
बाज़वक़्त
तारबंदी के आर-पार
आवाजाही करती रहने पाएँ
सबसे नर्म दुआएँ।
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4. शुद्धता एक मिथक है
वैज्ञानिक शोध ने मुझे सिखाया
कि किसी परिणाम के कोई मायने नहीं
जब तक उसमें त्रुटि न बताई जाए
एक छोटे से पैमाने से मापकर
फटाक से जो हम बोल देते हैं :
फलाँ वस्तु की लंबाई तीन सेंटीमीटर
बिना त्रुटि के है वह बकवास
या मात्र एक आभास
वास्तविकता के आस-पास
त्रुटि आकलन के तरीक़ों में है एक यह भी
कि दोहराते जाओ मापन का कार्यक्रम
अनंत बार में पहुँच जाओगे शुद्धतम मान तक
अनंत एक आदर्श स्थिति है
वह केवल सैद्धांतिक रूप में संभव है
शुद्धता अस्ल में, एक मिथक है
बहुत क़रीब से परखने पर
कुछ भी नहीं होता आदर्श
सममितता की होती है अपनी सीमा
माइक्रोस्कोप से देखने पर धूल
त्रिविमीय विस्तार में समान त्रिज्या की
गोलीय रचना नहीं होती
एक बढ़िया कैमरे से ज़ूम करके देखने पर
रेंगने वाला वह लंबा कीड़ा
मुझे दिखा
पुरानी हिंदी फिल्मों के खलनायक जैसा
दुराचारी नहीं
कैरीकेचर-सा
घर-घर मिट्टी के चूल्हे हैं
इससे आगे की पंक्ति
मुझे मेरे एक रिश्तेदार ने सुनाई थी :
पैंट के नीचे सभई नंगे हैं
उस दूर के रिश्तेदार को
मेरे क़रीबी रिश्तेदार
ख़ानदान की नाक कटाने वाला बताते थे।
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देवेश पथ सारिया
देवेश पथ सारिया का जन्म 1986 में राजस्थान के भरतपुर में हुआ। वर्तमान समय में यह ताइवान में खगोल शास्त्र में पोस्ट डॉक्टरल शोधार्थी हैं।
इनकी प्रकाशित पुस्तकों में 'नूह की नाव', स्टिंकी टोफू, 'छोटी आँखों की पुतलियों में', 'हकीकत के बीच, 'यातना शिविर में साथिनें' हैं।
देवेश पथ सारिया जी को भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनकी कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी, स्पेनिश, मंदारिन, रूसी, बांग्ला, मराठी, पंजाबी और राजस्थानी आदि भाषा और बोलियों में हो चुका है।
वर्तमान समय में देवेश जी 'गोल चक्कर' वेब पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं।
बहुत उम्दा कविताएँ!
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